Thursday, December 9, 2010

Nostalgia

गिलास में पानी मैं भर रहा हूँ

पर उसकों पीने की हिम्मत कहाँ से लाऊ

हवा उसकी बूंदों को चुरा रही हैं

पर उसकों ढकने की चादर कहाँ से लाऊ


लपेट रहा था खुद को उसके दामन से

हवा के झोखों से बचने के कोशिश में

काटें छुप कर दे गए जख्म मुझे

उन्हें मिटने का मरहम कहाँ से लाऊं


सोच रहा था चूल्हे में कंडे डाल कर

आज स्वादिष्ट खाना मैं बनाऊंगा

कंडे बीन कर बाजार से मैं ले आया

पर माचिस की तीली कहाँ से लाऊं


मिठाई की दूकान पे रखे गुलाब जामुन

तरसा रहे थे मुझे बचपन में कभी

आज पैसा हैं उन्हें खाने के लिए मेरे पास

पर खाने के लिए प्लेट कहाँ से लाऊं


लड़की का रिश्ता आया था मेरे लिए

खुश हुआ देखकर बहुत खूबसूरत हैं

बोली रिक्शे में बिठाना, पैदल न चलाना मुझे

अब रिक्शा में बैठने के पैसे कहाँ से लाऊं


चुराई थी मैंने मंदिर से कभी अठन्नी

पतंग खरीदने के लिए बिच्छू की दूकान से

ढेर सारी आज में पतंग खरीद सकता हूँ

पर वही अठन्नी कहाँ से लाऊं